Tuesday 12 January 2016

जरा इस पर भी गौर करो

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 सुखदेव बैनाड़ा 
हिंदू/मुस्लिम पडे और गौर करें....
(कट्टर धार्मिक लोग दुरहे)
अयोध्या के हिंदू कहते हैं अयोध्या में राम जन्मे. वहीं खेले कूदे बड़े हुए. बनवास भेजे गए. लौट कर आए तो वहां राज भी किया. उनकी जिंदगी के हर पल को याद करने के लिए एक मंदिर बनाया गया. जहां खेले, वहां गुलेला मंदिर है.
जहां पढ़ाई की वहां वशिष्ठ मंदिर हैं.
जहां बैठकर राज किया वहां मंदिर है.
जहां खाना खाया वहां सीता रसोई है.
जहां भरत रहे वहां हनुमान मंदिर है. कोप भवन है. सुमित्रा मंदिर है. दशरथ भवन है. ऐसे बीसीयों मंदिर हैं. और इन सबकी उम्र 400-500 साल है. यानी ये मंदिर तब बने जब हिंदुस्तान पर मुगल/मुसलमानों का राज रहा
अजीब है न! कैसे बनने दिए होंगे मुसलमानों ने ये मंदिर! उन्हें तो मंदिर तोड़ने के लिए याद किया जाता है. उनके रहते एक पूरा शहर मंदिरों में तब्दील होता रहा और उन्होंने कुछ नहीं किया! कैसे लोग थे वे, जो मंदिरों के लिए जमीन दे रहे थे. शायद वे लोग झूठे होंगे जो बताते हैं कि जहां गुलेला मंदिर बनना था उसके लिए जमीन मुसलमान/मुगल शासकों ने ही दी थी
दिगंबर अखाड़े में रखा वह दस्तावेज भी गलत ही होगा जिसमें लिखा है कि मुसलमान राजाओं ने मंदिरों के बनाने के लिए 500 बीघा जमीन दी थी
‪#‎_सच_तो_बस_बाबर_है‬ ‪#‎_और_उसकी_बनवाई_बाबरी_मस्जिद‬!
अजीब बात हे। बाबर राम के जन्म स्थल को तोड़ रहा था और तुलसी लिख रहे थे
‪#‎_मांग_के_खाइबो_मसीत_में_सोइबो‬
और फिर उन्होंने रामायण लिख डाली. राम मंदिर के टूटने का और बाबरी मस्जिद बनने का क्या तुलसी को जरा भी अफसोस न रहा होगा! कहीं लिखा क्यों नहीं उन्होंने!
अयोध्या में सच और झूठ अपने मायने खो चुके हैं. मुसलमान पांच पीढ़ी से वहां फूलों की खेती कर रहे हैं. उनके फूल सब मंदिरों पर उनमें बसे देवताओं पर.. राम पर चढ़ते रहे. मुसलमान वहां खड़ाऊं बनाने के पेशे में जाने कब से हैं. ऋषि मुनि, संन्यासी, राम भक्त सब मुसलमानों की बनाई खड़ाऊं पहनते रहे.,,,
1949 में इसकी कमान संभालने वाले मुन्नू मियां 23 दिसंबर 1992 तक इसके मैनेजर रहे जब कभी लोग कम होते और आरती के वक्त मुन्नू मियां खुद खड़ताल बजाने खड़े हो जाते तब क्या वह सोचते होंगे कि अयोध्या का सच क्या है और झूठ क्या?
अग्रवालों के बनवाए एक मंदिर की हर ईंट पर 786 लिखा है. उसके लिए सारी ईंटें राजा हुसैन अली खां ने दीं. किसे सच मानें? क्या मंदिर बनवाने वाले वे अग्रवाल सनकी थे या दीवाना था वह हुसैन अली खां जो मंदिर के लिए ईंटें दे रहा था? इस मंदिर में दुआ के लिए उठने वाले हाथ हिंदू या मुसलमान किसके हों, पहचाना ही नहीं जाता.,,
तारीख 22-7-1992 को सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद की सुरक्षा का सख्त आदेश दिया
लेकिन 6 दिसम्बर को पहले से तय योजना के तहत सांप्रदायिक आतंकवादीयों ने मस्जिद शहीद कर दी |
मेरा सवाल ‪#‎_क्या_मिला‬ ................
छह दिसंबर 1992 के बाद सरकार ने अयोध्या के ज्यादातर मंदिरों को अधिग्रहण में ले लिया.
वहां ताले पड़ गए.
आरती बंद हो गई.
लोगों का आना जाना बंद हो गया.
बंद दरवाजों के पीछे बैठे देवी देवता क्या कोसते नही होंगे उन्हें जो एक गुंबद पर चढ़कर राम को छू लेने की कोशिश कर रहे थे?
सूने पड़े हनुमान मंदिर या सीता रसोई में उस खून की गंध नहीं आती होगी जो राम के नाम पर अयोध्या और भारत में बहाया गया?
क्या अब तक राम मंदिर बन सका ?
क्या धर्म के ठेकेदारों जिन्होंने बाबरी मस्जिद को सहीद किया उन्हें सरकारी मेडलो से नवाजा गया ?
नोट :- इस पोस्ट को किसी भी धर्म की बेज्जती न समझा जाए । प्रस्तुत लेख अयोध्या के रहवासियों के ब्यान अनुसार लिखा गया है - कृप्या कर अपने विचार व्यक्त जरूर करे पर किसी भी धर्म के कट्टर लोग गाली गलोच कर अपने परिवार और धर्म की ‪#‎_विशेषता‬ का प्रमाण न दें....

From : wasimakramtyagi : sir

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