Saturday 29 April 2017

दोस्त और यादें

*Harivansh Rai Bachhan's poem on FRIENDSHIP :*
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....मै यादों का
    किस्सा खोलूँ तो,
    कुछ दोस्त बहुत
    याद आते हैं....
...मै गुजरे पल को सोचूँ
   तो, कुछ दोस्त
   बहुत याद आते हैं....

_...अब जाने कौन सी नगरी में,_
_...आबाद हैं जाकर मुद्दत से...._
....मै देर रात तक जागूँ तो ,
    कुछ दोस्त
    बहुत याद आते हैं....
....कुछ बातें थीं फूलों जैसी,
....कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,
....मै शहर-ए-चमन में टहलूँ तो,
....कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
_...सबकी जिंदगी बदल गयी,_
_...एक नए सिरे में ढल गयी,_
_...किसी को नौकरी से फुरसत नही..._
_...किसी को दोस्तों की जरुरत नही...._
_...सारे यार गुम हो गये हैं..._
...."तू" से "तुम" और "आप" हो गये है....
....मै गुजरे पल को सोचूँ
    तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं....
_...धीरे धीरे उम्र कट जाती है..._
_...जीवन यादों की पुस्तक बन जाती है,_
_...कभी किसी की याद बहुत तड़पाती है..._
  _और कभी यादों के सहारे ज़िन्दगी कट जाती है ..._
....किनारो पे सागर के खजाने नहीं आते,
....फिर जीवन में दोस्त पुराने नहीं आते...
_....जी लो इन पलों को हस के दोस्त,_
    _फिर लौट के दोस्ती के जमाने नहीं आते ...._
*....हरिवंशराय बच्चन*

हर रोज़ गिर कर भी मुकमल खड़े है 😊 देख ज़िंदगी मेरे होंसले तुझसे भी बड़े हैं 😎


Friday 14 April 2017

आजकल थोड़ा अपसेट हूँ। 🙃🙁☹

रिश्तें निभाना हर किसी के बस की बात नहीं,
खुद को तोड़ा है कई बार मैंने किसी और को बनाने के लिए !!
👉👉👉👇👇👇😎😔😨😢

गलतियों से जुदा तू भी नहीं मैं भी नहीं,
दोनों इंसान है, खुदा तू भी नहीं मैं भी नहीं;
तू मुझे और मैं तुझे इलज़ाम देते हैं मगर,
अपने अंदर झाँकता, तू भी नहीं मैं भी नहीं;
गलतफहमियों ने कर दी दोनों में पैदा दूरियाँ,
वरना फितरत का बुरा तू भी नहीं मैं भी नहीं;
अपने अपने रास्तों पे दोनों का सफ़र जारी रहा,
एक पल को रुका तू भी नहीं मैं भी नहीं;
चाहते दोनों बहुत एक दुसरे को है मगर,
ये हकीकत मानता तू भी नहीं मैं भी नहीं.......!!!!

(उम्मीद करता हूँ जिनके लिए लिखा है वो समझ गए होंगे)