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....मै यादों का
किस्सा खोलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत
याद आते हैं....
तो, कुछ दोस्त
बहुत याद आते हैं....
_...अब जाने कौन सी नगरी में,_
_...आबाद हैं जाकर मुद्दत से...._
कुछ दोस्त
बहुत याद आते हैं....
....कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,
....मै शहर-ए-चमन में टहलूँ तो,
....कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
_...एक नए सिरे में ढल गयी,_
_...किसी को दोस्तों की जरुरत नही...._
...."तू" से "तुम" और "आप" हो गये है....
तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं....
_...जीवन यादों की पुस्तक बन जाती है,_
_...कभी किसी की याद बहुत तड़पाती है..._
_और कभी यादों के सहारे ज़िन्दगी कट जाती है ..._
....फिर जीवन में दोस्त पुराने नहीं आते...
_फिर लौट के दोस्ती के जमाने नहीं आते ...._