Tuesday 11 October 2016

आपको याद है:साँझी

छोरी माट्टी ल्याया करती
मुह अर हाथ बणाया करती
गोबर तै चिपकाया करती
नू सांझी बणाया करती
कंठी कड़ूले पहराया करती
आखं मै स्याही लाया करती
चूंदड़ भी उढाया करती
नू सांझी नै सजाया करती
रोज सांझ नै आया करती
गीत संझा के गाया करती
घी मै मिट्ठा मिलाया करती
नूं सांझी नै जीमाया करती
सांझी का फेर आया भाई
अगड़ पड़ोसन देखण आई
कट्ठी होकै बूझै लुगाई
सांझी तेरे कितने भाई
फेर सांझी की होई विदाई
छोरी छारी घालण आई
हांडी के म्हा सांझी बैठाई
गैल्या उसका करदिया भाई
छोरी मिलकै गाया करती
हांडी नै सजाया करती
एक दीवा भी जलाया करती
फेर जोहड़ मै तिराया करती
हम भी गैल्या जाया करते
जोहड़ मै डल़े बगाया करते
सांझी नै सताया करते
फोड़ कै हांडी आया करते
ईब गया जब गाम मै भाई
सिमेंट टाईल अर नई पुताई
सारी भीत चमकती पाई
पर कितै ना दिखी सांझी माई
...कितै ना दिखी सांझी माइ