Wednesday 27 December 2017

ग्रामीण बच्चों का जीवन

=== ग्राम्य जीवन ====== 
.
हम देहात से निकले बच्चे थे। पांचवी तक घर से तख्ती लेकर स्कूल गए थे. स्लेट को जीभ से चाटकर अक्षर मिटाने की हमारी स्थाई आदत थी ..
कक्षा के तनाव में स्लेटी खाकर हमनें तनाव मिटाया था। स्कूल में टाट पट्टी की अनुपलब्धता में घर से खाद या बोरी का कट्टा बैठने के लिए बगल में दबा कर भी ले जातें थे।.

कक्षा छः में पहली दफा हमनें अंग्रेजी का कायदा पढ़ा और पहली बार एबीसीडी देखी स्मॉल लेटर में बढ़िया एफ बनाना हमें बारहवीं तक भी न आया था। .
.
हम देहात के बच्चों की अपनी एक अलग दुनिया थी , कपड़े के बस्ते में किताब और कापियां लगाने का विन्यास हमारा अधिकतम रचनात्मक कौशल था। तख्ती पोतने की तन्मयता हमारी एक किस्म की साधना ही थी। हर साल जब नई कक्षा के बस्ते बंधते (नई किताबें मिलती) तब उन पर गत्ता चढ़ाना हमारे जीवन का स्थाई उत्सव था। .

.
ब्लू शर्ट और खाकी पेंट में जब हम इंटरमीडिएट पहूँचे तो पहली दफा खुद के कुछ बड़े होने का अहसास हुआ। गाँव से 4-5 किलोमीटर दूर के कस्बें में साईकिल से रोज़ सुबह कतार बना कर चलना और साईकिल की रेस लगाना हमारे जीवन की अधिकतम प्रतिस्पर्धा थी। हर तीसरे दिन पंप को बड़ी युक्ति से दोनों टांगो के मध्य फंसाकर साईकिल में हवा भरतें मगर फिर भी खुद की पेंट को हम काली होने से बचा न पाते थे। स्कूल में पिटते मुर्गा बनतें मगर हमारा ईगो हमें कभी परेशान न करता
...... हम देहात के बच्चें शायद तब तक जानते नही थे कि ईगो होता क्या है ... क्लास की पिटाई का रंज अगले घंटे तक काफूर हो गया होता और हम अपनी पूरी खिलदण्डिता से हंसते पाए जाते। .
.
रोज़ सुबह प्रार्थना के समय पीटी के दौरान एक हाथ फांसला लेना होता मगर फिर भी धक्का मुक्की में अड़ते भिड़ते सावधान विश्राम करते रहते। हम देहात के निकले बच्चें सपनें देखने का सलीका नही सीख पातें अपनें माँ बाप को ये कभी नही बता पातें कि हम उन्हें कितना प्यार करते है।
.
.
हम देहात से निकले बच्चें गिरतें सम्भलतें लड़ते भिड़ते दुनिया का हिस्सा बनतें है कुछ मंजिल पा जाते है कुछ यूं ही खो जाते है। एकलव्य होना हमारी नियति है शायद।
.
देहात से निकले बच्चों की दुनिया उतनी रंगीन होती वो ब्लैक एंड व्हाइट में रंग भरने की कोशिश जरूर करतें हैं। पढ़ाई फिर नौकरी के सिलसिलें में लाख शहर में रहें लेकिन हम देहात के बच्चों के अपने देहाती संकोच जीवन पर्यन्त हमारा पीछा करते है नही छोड़ पाते है..

सुड़क सुड़क की ध्वनि के साथ चाय पीना अनजान जगह जाकर रास्ता कई कई दफा पूछना। कपड़ो को सिलवट से बचाए रखना और रिश्तों को अनौपचारिकता से बचाए रखना हमें नही आता है। अपने अपने हिस्से का निर्वासन झेलते हम बुनते है कुछ आधे अधूरे से ख़्वाब और फिर जिद की हद तक उन्हें पूरा करने का जुटा लाते है आत्मविश्वास।

.
हम देहात से निकलें बच्चें थोड़े अलग नही पूरे अलग होते है... अपनी आसपास की दुनिया में जीते हुए भी खुद को हमेशा पाते है थोड़ा प्रासंगिक थोड़ा अप्रासंगिक

Saturday 18 November 2017

ये मुझे पसंद हैं....👍


1~~काशिफ़ हुसैन

याद वो उम्र भर रहेगा क्या

दिल इसी काम पर रहेगा क्या

क्या बिखर के रहेंगे ख़्वाब मिरे

आइना टूट कर रहेगा क्या

क्या हुआ अब इधर न आएगी

हब्स ये उम्र-भर रहेगा क्या

वो जो इक शख़्स मेरे अंदर है

मेरे अंदर ही मर रहेगा क्या

मैं हवा की तरह हूँ आवारा

तू मेरा हम-सफ़र रहेगा क्या

नींद उड़ती रहेगी आँखों से

जश्न ये रात-भर रहेगा क्या

2~~
नज़र मिली तो नज़ारों में बाँट दी मैं ने

ये रौशनी भी सितारों में बाँट दी मैं ने

बस एक शाम बची थी तुम्हारे हिस्से की

मगर वो शाम भी यारों में बाँट दी मैं ने

💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫

देख रहा है दरिया भी हैरानी से,
मैं ने कैसे पार किया आसानी से।।

नदी किनारे पहरों बैठा रहता हूँ,
कुछ रिश्ता है मेरा बहते पानी से।।

हर कमरे से धूप, हवा की यारी थी,
घर का नक्शा बिगड़ा है मनमानी से।।

अब जंगल में चैन से सोया करता हूँ,
डर लगता था बचपन में वीरानी से।।

दिल पागल है रोज़ पशीमाँ होता है,
फिर भी बाज़ नहीं आता मनमानी से।।
🎆sUkH

Friday 11 August 2017

My sad story

11-08-2017

I'm sUkHdEv mEeNa.....

I don't have a success story but a sad story which is still incomplete because people say every sad beginning has a beautiful end 

1.SSC CHSL 2012- failed in exam

2.SSC CGL 2012- failed in prelims

3.JAIL PRAHARI 2012- physical didn't attend

4.SSC CGL 2013 -failed in prelims

5.SSC CGL 2013 (Re-Exam) -failed in mains

6.SSC CHSL 2013- failed in exam

7.SSC CGL 2014- failed in mains

8.SSC CHSL 2014- failed in exam

9.IBPS Clerk & PO 2014- failed in prelims

10.SSC CPO 2015- physical didn't attend

11.SSC CGL 2015- failed in mains 

12.SSC CHSL 2015- waiting for final result

13.IBPS Clerk & PO 2015- failed in mains 

14.SBI PO 2015- failed in mains

15.LIC ADO 2015 -interview didn't attend

16.FCI 2015- failed in exam

17.RRB NTPC 2015- waiting for final result

18.SSC CPO 2016 -failed in physical

19.SSC CGL 2016 -failed in final merit

20.SSC CHSL 2016- waiting for main's result

21. IBPS Clerk 2016- in Reserve list


I have seen a lot of failure

Some people call me a failure

Some time I get annoy 
But still somewhere in my heart I know I am not a failure
I am still fighting
I have not give up yet
Yes I fear of losing 
But still fighting
Because I know one day I will make it 
I will shut all those mouths who questioned my potential
My story is still incomplete
May be good is choosing a beautiful climax for it. 
I m hopeful and I am ready 
CGL 2017 is approaching 
May be this is my destiny...

God bless me...😃😃

📚📓📒📃🗞📑📙📚🤗😐😎

Saturday 29 April 2017

दोस्त और यादें

*Harivansh Rai Bachhan's poem on FRIENDSHIP :*
_________________________________
....मै यादों का
    किस्सा खोलूँ तो,
    कुछ दोस्त बहुत
    याद आते हैं....
...मै गुजरे पल को सोचूँ
   तो, कुछ दोस्त
   बहुत याद आते हैं....

_...अब जाने कौन सी नगरी में,_
_...आबाद हैं जाकर मुद्दत से...._
....मै देर रात तक जागूँ तो ,
    कुछ दोस्त
    बहुत याद आते हैं....
....कुछ बातें थीं फूलों जैसी,
....कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,
....मै शहर-ए-चमन में टहलूँ तो,
....कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
_...सबकी जिंदगी बदल गयी,_
_...एक नए सिरे में ढल गयी,_
_...किसी को नौकरी से फुरसत नही..._
_...किसी को दोस्तों की जरुरत नही...._
_...सारे यार गुम हो गये हैं..._
...."तू" से "तुम" और "आप" हो गये है....
....मै गुजरे पल को सोचूँ
    तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं....
_...धीरे धीरे उम्र कट जाती है..._
_...जीवन यादों की पुस्तक बन जाती है,_
_...कभी किसी की याद बहुत तड़पाती है..._
  _और कभी यादों के सहारे ज़िन्दगी कट जाती है ..._
....किनारो पे सागर के खजाने नहीं आते,
....फिर जीवन में दोस्त पुराने नहीं आते...
_....जी लो इन पलों को हस के दोस्त,_
    _फिर लौट के दोस्ती के जमाने नहीं आते ...._
*....हरिवंशराय बच्चन*

हर रोज़ गिर कर भी मुकमल खड़े है 😊 देख ज़िंदगी मेरे होंसले तुझसे भी बड़े हैं 😎


Friday 14 April 2017

आजकल थोड़ा अपसेट हूँ। 🙃🙁☹

रिश्तें निभाना हर किसी के बस की बात नहीं,
खुद को तोड़ा है कई बार मैंने किसी और को बनाने के लिए !!
👉👉👉👇👇👇😎😔😨😢

गलतियों से जुदा तू भी नहीं मैं भी नहीं,
दोनों इंसान है, खुदा तू भी नहीं मैं भी नहीं;
तू मुझे और मैं तुझे इलज़ाम देते हैं मगर,
अपने अंदर झाँकता, तू भी नहीं मैं भी नहीं;
गलतफहमियों ने कर दी दोनों में पैदा दूरियाँ,
वरना फितरत का बुरा तू भी नहीं मैं भी नहीं;
अपने अपने रास्तों पे दोनों का सफ़र जारी रहा,
एक पल को रुका तू भी नहीं मैं भी नहीं;
चाहते दोनों बहुत एक दुसरे को है मगर,
ये हकीकत मानता तू भी नहीं मैं भी नहीं.......!!!!

(उम्मीद करता हूँ जिनके लिए लिखा है वो समझ गए होंगे)