Friday 6 April 2018

Sukh

ज़िन्दगी का मकसद अलग था और ज़रूरत अलग, हमने दोनों को डाइल्यूट कर दिये...

तबियत नही लगती अब ज़िन्दगी जीने में,जिंदगी जीने के लिए मिली थी हमने ज़िन्दगी के समान इकट्ठा करने में निकाल दी। ज़िन्दगी भर साजो-सामान इकट्ठा किया और जीने के पल आने से पहले मौत ने धर दबोचा और वहीं नाटक के पर्दे गिर गए सारी ओर अंधेरा छा गया...

इल्म की इब्तिदा हुई थी जीने का सलीक़ा पाने के लिए लेकिन हमने नॉकरी और कमाने का जरिया बना दिया, किसी भी चीज़ को शुरुआत करने का एक मक़सद होता है और अगर उस मकसद से नज़र हट जाती है तो नुकसान भी बड़ा होता है, देखिये इल्म को ज़िन्दगी में लाया गया ताकि इंसान इंसानियत के हवाले हो जाए और दूसरों को उसी रास्ते पर लाने की कोशिश करे लेकिन आज आप किसी पढ़े लिखे शख़्स के अच्छे होने की गारंटी नही ले सकते...

ज़रूरी तो बहुत कुछ बताना है लेकिन बात अधूरी है मैं अक्सर अपनी समझ में पढ़ाई को पढ़ने से ज्यादा समझने को गौर करने को कहता हूँ इसके अलावा अगर हटकर चलना है तो यकीनन आप पढ़ जाएंगे लेकिन कितनो को फायदा पहुंचाने वाले बनेंगे इसका खुदा मालिक...

चलों कहीं घूम के आते हैं तेज़ रफ़्तार चलती गाड़ी सी ज़िन्दगी में क़ीमती चीजें पीछे छूट रही हैं काश की हम हर गुज़री चीज़ से बेहतरीन चीजों को वापस ला पाते, और अगर नही ला सकते और आगे की ज़िंदगी को बेहतरीन बनाने की कोशिश करेंगे...
#टूर #इमोशन

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