Saturday 17 September 2016

महकेगी जिंदगी

��हो सके तो मुस्कुराहट बांटिये, रिश्तों में कुछ सरसराहट बांटिये !

नीरस सी हो चली है ज़िन्दगी बहुत, थोड़ी सी इसमें शरारत बांटिये !

जहाँ भी देखो ग़म पसरा है, आँसू हैं, थोड़ी सी रिश्तों में हरारत बांटिये !

नहीं पूछता कोई भी ग़म एक - दूजे का, लोगों में थोड़ी सी ज़ियारत बांटिये !

सब भाग रहे हैं यूँ ही एक - दूजे के पीछे, अब सुकून की कोई इबादत बांटिये !

जीने का अंदाज़ न जाने कहाँ खो गया, नफ़रत छोड़ प्यार प्रेम बांटिये !

ज़िन्दगी न बीत जाये यूँ ही दुख-दर्द में, बेचैनियों को कुछ तो राहत बांटिये !!

❣ ये ज़िन्दगी ना मिलेगी दुबारा ❣
..........सुखदेव मीणा बैनाड़ा

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