Saturday, 30 July 2016

sUkH:1

तुम गिराने में लगे थे,तुमने सोचा ही नहीं...
मैं गिरा तो फिर से खडा़ हो जाऊँगा...
चलने दो अभी अकेला है मेरा सफर...
रास्ता रोका तो मैं का़फिला बन जाऊँगा...

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