1.पत्थरों के शहर में कच्चे मकान कौन रखता है..
AC के इस ज़माने में रोशनदान कौन रखता है..
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अपने घर की कलह से फुरसत मिले..तो सुने..
आजकल पराई दीवार पर कान कौन रखता है..
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जहां, जब, जिसका, जी चाहा थूक दिया..
आजकल हाथों में पीकदान कौन रखता है..
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हर चीज मुहैया है मेरे शहर में किश्तों पर..
आजकल हसरतों पर लगाम कौन रखता है..
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बहलाकर छोड़ आते है वृद्धाश्रम में मां बाप को..
आजकल घर में पुराना सामान कौन रखता है.
2. तू जिंदगी को जी,
उसे समझने की कोशिश ना कर..
चलते वक़्त के साथ तू भी चल,
वक्त को बदलने की कोशिश न कर.
दिल खोल कर साँस ले,
अंदर ही अंदर घुटने की कोशिश न कर..
कुछ बाते भगवान् पर छोड़ दे
सब कुछ खुद सुलझाने की कोशिश न कर..
3:
आंसुओं को बहुत समझाया तन्हाई मे आया करो,!
महफिल मे आकर मेरा मजाक ना बनाया करो!
आँसूं बोले . . .
इतने लोग के बीच भी आपको तन्हा पाता हूँ,
बस इसलिए साथ निभाने चले आता हूँ !
जिन्दगी की दौड़ में,
तजुर्बा कच्चा ही रह गया...
हम सीख न पाये 'फरेब'
और दिल बच्चा ही रह गया !
बचपन में जहां चाहा हंस लेते थे,
जहां चाहा रो लेते थे...
पर अब मुस्कान को तमीज़ चाहिए
और आंसुओ को तन्हाई !
हम भी मुस्कराते थे कभी बेपरवाह अन्दाज़ से...
देखा है आज खुद को कुछ पुरानी तस्वीरों में !
चलो मुस्कुराने की वजह ढुंढते हैं...
तुम हमें ढुंढो...
हम तुम्हे ढुंढते हैं..
4:
ऐसा ही सत्य कहना चाहिए जो दुसरों की प्रसन्नता का कारण हो ।
जो सत्य दुसरों के दु:ख का कारण हो उस संबंध मे बुद्धिशाली व्यक्ति को मौन रहना चाहिए.....
बहुत ही आसान है जमीं पर आलीशान भवनों का निर्माण कर लेना .....
दिल मे जगह बनाने मे जिन्दगी गुजर जाया करती है
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