तुम गिराने में लगे थे,तुमने सोचा ही नहीं...
मैं गिरा तो फिर से खडा़ हो जाऊँगा...
चलने दो अभी अकेला है मेरा सफर...
रास्ता रोका तो मैं का़फिला बन जाऊँगा...
Saturday, 30 July 2016
sUkH:1
Friday, 15 July 2016
जल-जंगल-जमीन से शिखर तक
दोस्तों जिस दिन ये खबर पढ़ी तब से ही इस पर कुछ लिखने की सोच रहा था, आज समय मिला है। नज़र का फर्क होता है, कुछ को ये ऐसे लग सकती है कि मीणाओं को हाईलाइट करने की चाल है मीडिया की तो कुछ इसे पॉजिटिव भी ले रहे हैं।
जहाँ तक मेरा सवाल है, मैं इस खबर को पढ़कर गर्व महसूस कर रहा हूँ। हमें गर्व है कि मीणाओं में ऐसे ऐसे परिवार हैं। आरक्षण से हमें ये मुकाम मिला है, सबको समान अवसर सुनिश्चित हुये हैं। नहीं तो एक किसान के घर से इतने बड़े अफसर बनना नामुमकिन था, आरक्षण विरोधियों और तथाकथित अफसरशाही विरोधियों और क्रीमीलेयर के समर्थकों को भी एक बात ध्यान में रखनी चाहिए कि इस परिवार में सिर्फ एक पीढ़ी ने आरक्षण का लाभ लिया है।
देश के हर भाग में रहने वाला मीणा इस परिवार के नाम पर गर्व महसूस करता है। मुझे सही याद है तो नमो जी 1969 बैच के आईपीएस थे तो हरीश जी 1976 बैच के, भवानी जी 1975 बैच के आईएएस थे और ओपी जी 1979 बैच के आईएएस और सबसे छोटे धर्म सिंह जी IRS कस्टम में हुये लास्ट में अर्थात घर में पढ़ाई का माहौल लगातार बना रहा और बड़े भाइयों ने छोटो का मार्गदर्शन किया होगा।
हमें राजनीति से इतर भी अनेक चीजों को देखना चाहिए। मीणा लोगों ने आज तक जितनी भी उन्नति की है वो पढ़ाई से ही की है अतः बेशक हमें अन्य क्षेत्रों की और ध्यान देना चाहिए लेकिन हमारा मूल एरिया है जहाँ हम ताक़तवर हैं वो शिक्षा है और हमें इसको और मजबूत करने की और ध्यान देना चाहिए तथा आर्थिक अभावों की वजह से जो बच्चे शिक्षा की दौड़ में पिछड़ रहे हैं उन पर विशेष फोकस करना चाहिए। कुछ प्रयास अनेक लोग छिटपुट स्तर पर कर रहे हैं, उनको संगठित करने की जरूरत है।