1~~काशिफ़ हुसैन
याद वो उम्र भर रहेगा क्या
दिल इसी काम पर रहेगा क्या
क्या बिखर के रहेंगे ख़्वाब मिरे
आइना टूट कर रहेगा क्या
क्या हुआ अब इधर न आएगी
हब्स ये उम्र-भर रहेगा क्या
वो जो इक शख़्स मेरे अंदर है
मेरे अंदर ही मर रहेगा क्या
मैं हवा की तरह हूँ आवारा
तू मेरा हम-सफ़र रहेगा क्या
नींद उड़ती रहेगी आँखों से
जश्न ये रात-भर रहेगा क्या
2~~
नज़र मिली तो नज़ारों में बाँट दी मैं ने
ये रौशनी भी सितारों में बाँट दी मैं ने
बस एक शाम बची थी तुम्हारे हिस्से की
मगर वो शाम भी यारों में बाँट दी मैं ने
देख रहा है दरिया भी हैरानी से,
मैं ने कैसे पार किया आसानी से।।
नदी किनारे पहरों बैठा रहता हूँ,
कुछ रिश्ता है मेरा बहते पानी से।।
हर कमरे से धूप, हवा की यारी थी,
घर का नक्शा बिगड़ा है मनमानी से।।
अब जंगल में चैन से सोया करता हूँ,
डर लगता था बचपन में वीरानी से।।
दिल पागल है रोज़ पशीमाँ होता है,
फिर भी बाज़ नहीं आता मनमानी से।।
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